हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम

Dec 12, 2025 - 13:59
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हर चूत पर लिखा है किसी लंड का नाम

फर्स्ट नाईट विद हसबैंड कहानी में एक पर्दानशीं लड़की का निकाह एक पढ़ाकू किस्म के लड़के से हुआ, जो सेक्स में कम रुचि रखता था।  उनकी शादी कैसे हुई?

 दोस्तो, आज की कहानी पढ़े-लिखे आधुनिक विचारों के विधर्मी वर्ग से है।

 हाजी मंजूर, जो इंटर कॉलेज में गणित पढ़ाया करते थे।
 उनकी बीबी आयरा बेगम भी एक मुस्लिम छात्रावास में शिक्षिका थीं।

 आयरा बेगम बहुत छोटी थीं और बहुत सुंदर थीं. मंजूर और उनका निकाह एक प्रेम विवाह था जिसे घरवालों ने मंजूरी दी थी।
 आयरा पेट की घटना को अब कैसे नकार देते?

 इनकी दो बेटियाँ थीं: फायज़ा और उल्फ़त।
 फायदा दो वर्ष अधिक था।

 उल्फ़त पूरी तरह से मां पर चली गई, जो बेहद चंचल और सुंदर थी।

 खूबसूरत थी, लेकिन उल्फ़त नहीं।

 उल्फ़त का तीखा नैन नक्श और चुलबुला स्वभाव उसे अलग करता है।

 हाजी मंजूर के पास दो बेटियाँ थीं, लेकिन उनकी खुशी कम नहीं हुई।
 वह आयरा बेगम को चुदाई नहीं करने देते थे।

 स्कूल और स्कूल से बाहर निकलने के बाद, आयरा बेगम के लहंगे में रहते हैं।
 बेटियाँ बड़ी हो गईं तो बहुत हंसती थीं।

 हालाँकि, आयरा बेगम और हाजी ज़ी के बीच का रिश्ता अटूट रहा।
 जब बेटियाँ बड़ी हो गईं, तो हाजी ज़ी ने अपना कमरा ऊपर कर दिया और खुद को नीचे रखा।
 रात को उनके जीवन की किवाड़ को बंद करना नहीं भूलते थे।

 आयरा बेगम की यौन इच्छा मंजूर भाई से अधिक थी।
 उन्हें पूरी तरह से कामसूत्र मिल गया।
 बेड पर उन्हें आज चुदने का तरीका बताया गया।
 कमरे से बाहर आती उनकी सीत्कारें उनके उन्मुक्त सेक्स की गवाह होतीं।

 उनकी अदाओं ने मुजरुर भाई को मोहित कर दिया।
 वह अपनी मलिका को कपड़े और जेवरों से लादे रखते थे।

 हर रात आयरा बेगम बनाव शृंगार में समय बिताती थीं।
 वह कभी बेड पर बिना सजे संवरे नहीं गईं।

 उल्फ़त अब चौबीस वर्ष की हो गयी थी।  उस पर जवानी का पूरा बल था।
 भरा हुआ मस्त बदन, भारी मांसल मम्मे और पूरी तरह से गुलाबी त्वचा।

 वह पढ़ने में बहुत अच्छी थी और ग्रेजुएशन में पहली थी।
 पर हाजी मंजूर उनकी सुंदरता से भयभीत हो गए और उनको बी एड देकर अम्मी के स्कूल में उनकी जगह प्रिंसिपल बना दिया।

 घर में उल्फ़त के निकाह की चर्चा होने लगी।
 इनमें शादी घर में होती है।

 उल्फ़त को हाजी मंजूर के चचेरे भाई के लड़के मोहसिन से प्यार था।
 मोहसिन उससे भी प्यार करता था।
 दोनों की आँखों में प्रेम परवान चढ़ रहा था।

 मोहसिन अक्सर घर आता-जाता रहता था और हर बार उल्फ़त से टकरा ही जाता था।
 मोबाइल मोहब्बत का रंग जमाने का काम अब मोबाइल के जमाने में होता ही है।

 मोहसिन ने जिम जाकर शानदार शरीर बनाया।
 कसरती शरीर और लंबा कद।
 कुल मिलाकर, मोहसिन एक बहुत पढ़ा-लिखा, आशिक और गोरा रंग का आदमी था।

 उल्फ़त लट्टू थी।

 दोनों का प्रेम फोन पर जारी रहा।

 दोनों के होठ कभी-कभी किसी कोने में भी मिल चुके थे, लेकिन किसी को भी उनकी परवान चढ़ती मोहब्बत का इल्म नहीं था।

 रात भर उनकी इस प्यार का अंत आता रहता था।

 घर पर एक छोटी सी दावत थी।
 उल्फ़त एक सुंदर संवरी थी।

 आयरा बेगम ने उसे आवाज दी और उसे ऊपर वाले फ्लैट से कुछ सामान लाने को कहा. उन्होंने मोहसिन को उसकी मदद करने को भी कहा, लेकिन वे अनजाने में ही ऐसा करते थे।

 तब क्या हुआ?  दोनों भाग ऊपर छूटे।
 मोहसिन ने ऊपर फ्लैट में पहुंचकर पहले सामान लिया, फिर उल्फ़त की ओर बाहें फैला दीं।
 उल्फ़त भागकर उसके पास आ गई।
 दोनों ने होठ मिलाए।

 उल्फ़त का बदन थर्रा रहा था।
 उसके हाथों में पसीना था।

 वह इतनी देर से किसी मर्द के इतने करीब पहली बार थी।

 मोहसिन की मजबूत बाहों ने उसे अपने से चिपटा रखा।
 मोहसिन की छाती उल्फ़त के मांसल मम्मे को दबा रही थी।

 मोहसिन ने उल्फ़त के मम्मे मसलते हुए फिर उसकी सलवार में हाथ डाल दिया, बिना कुछ आगे पीछे सोचे।
 उल्फ़त बहुत कसमसाई और भागने की कोशिश की।

 मोहसिन ने अपने मन को नियंत्रित नहीं किया।

 तब आयरा बेगम की जीना चढ़ने की आवाज आई।
 उल्फ़त ने खुद को बचाया और अपने सामान लेकर नीचे भागी।

 उल्फ़त अपनी खराब हुई लिपस्टिक आयरा बेगम से छिपाती हुई नीचे चली गई और कमरे में घुसकर किवाड़ बंद कर दी।
 उसके हाथ जोर से चल रहे थे।

 उल्फ़त की चूत पानी बहा रही थी, लेकिन मोहसिन ने जन्नत के दरवाजे को छू नहीं पाया।
 उल्फ़त ने ठंडा पानी पीकर टॉवेल से बाहर निकला।

 रोजाना, मोहसिन अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर घूमता था, खासतौर से स्कूल जाने और लौटने के समय।
 आयरा बेगम को पता था कि उल्फ़त मोहसिन को पसंद करती है, लेकिन मोहसिन अभी काम पर नहीं था, इसलिए उन्होंने इस बारे में बहुत कुछ नहीं सोचा।

 हाँ, इतना तो था कि उल्फ़त और आयरा बेगम दोनों को घर में उल्फ़त के रिश्ते की चर्चा हो रही थी, फिर भी उल्फ़त को हाजी मंजूर से इस बेनाम मोहब्बत के बारे में बताने की हिम्मत नहीं थी।

 अब आयरा बेगम घर पर ही रहती।
 वो बहुत अधिक पढ़ाई करती हैं।

 ऊपर वाले के फज़ल से धन की इफरात हुई।
 हाजी जी ने तीन मंजिला घर बनाया था।
 परिवार नीचे रहता था, ऊपर की दोनों मंजिलें बेटियों के लिए फर्निश्ड और सुंदर फ्लैट की तरह बनाई गई थीं।
 उन्हें लगता था कि लड़कियां शादी के बाद उनके साथ रहेंगी।

 हाज़ी मंजूर के पास बहुत सारे ट्यूशन होते।
 उन्हीं में से एक लड़का ने इकबाल को एकतरफा दिल लगाया।
 लंबा, पतला, दुबला, साधारण कद काठी का इकबाल पढ़ने में बहुत तेज था।
 वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने लगा और पहले परीक्षण में सब कुछ पूरा करके इंजीनियर बन गया।

 पढ़ाई का लाभ कुछ अलग था।
 वह बहुत जल्दी थी और कुछ बनना चाहती थी।

 उल्फ़त की पढ़ाई बंद हो गई, लेकिन फायदे की पढ़ाई जारी रही।
 वह कम बोलती थी और अपने काम से काम रखती थी।
 उसकी जिंदगी में एक बड़ा लक्ष्य हासिल करना था।

 उल्फ़त भी सुंदर थी।
 लेकिन उसे सँवारने का कोई शौक नहीं था।
 दिन-रात किताबों में बिताने से उसे चश्मा लग गया।

 इकबाल को इंजीनियरिंग करने के बाद सरकारी नौकरी मिल गई, इसलिए उसके माँ-बाप ने हाजी से रिश्ता बनाया।
 हाजी ज़ी का लड़का देखभाल करता था।

 हाँ, वे जानते थे कि बहुत ऊपर जाएगा।
 लड़के वालों को अपनी शर्त बताई।

 इकबाल की माँ और पिता बहुत तेज थे।
 उन्हें लगता था कि इकबाल को नौकरी छोड़नी चाहिए, इसलिए वह न तो उनके साथ रहेगा न हाजी ज़ी।
 तो मुफ्त घर क्यों छोड़ दें?

 उनका उत्तर हाँ था।
 उल्फ़त ने दबी जुबान से विरोध किया, लेकिन हाजी मंजूर ने मोहसिन को बेरोजगार बताया क्योंकि उसके पास अभी कोई मजबूत काम नहीं था।
 आयरा बेगम भी मजबूर थीं, लेकिन उल्फ़त अपनी माँ के गले लगकर बहुत रोई।

 साथ ही, फायज़ा अपने जीजू इकबाल भाई से छेड़खानी करती रहती।
 उन्हें पढ़ने का बड़ा शौक था, इसलिए वे बहुत पसंद करते थे।
 तो उनकी बातें बहुत किताबी होती।

 इकबाल और उल्फ़त का निकाह हुआ।

 बीच की मंजिल को हाजी ने पूरा सजवाया।
 इकबाल और उल्फ़त ने अपनी सुहागरात के लिए निखालिस गुलाब के फूलों से अपना बेडरूम सजाया।
 ये इरादे स्पष्ट थे।

 उल्फ़त एक हूर की परी की तरह दिखती थी।
 इकबाल ने उल्फ़त को हीरे की अंगूठी दिखाई।

 उल्फ़त अपने शौहर की बाहों में समाने को बेसब्र थी।
 उसने अपनी सहेलियों से फर्स्ट नाईट विद हसबैंड के बारे में सुना था और सोशल मीडिया की सहायता से कई सुहागरात के सपने बनाए थे।

 इकबाल ने तुरंत कपड़े बदलने को कहा।  उल्फ़त चाहती थी कि इकबाल आज अपने कपड़े उतारे।
 ऐसा ही उसका विचार था।

 ठीक है, उल्फ़त उठी और अपनी अलमारी से सुहागरात के लिए खरीदी एक झीनी सी नाईटी निकालकर पहनी।
 इकबाल भी अपने कपड़े बदल चुका था।

 इकबाल ने उल्फ़त को अपने हाथों में जकड़ लिया और उसके साथ चुम्बन करने लगा।
 इकबाल भी उल्फ़त से सूखी बेल की तरह लिपट गया।

 उल्फ़त के सपनों में पहला सेक्स भी था, लेकिन इकबाल ने उसे बताया कि यह अभी नहीं होता, पहले हम एक दूसरे को जान लें।

 उल्फ़त ने कहा कि हम एक दूसरे को पांच छह साल से जानते हैं।
 पर इकबाल ने उसका मुंह बंद कर दिया।

 झीनी नाईटी से उसके मांसल मम्मे और नुकीले तीर जैसे निप्पल झलक रहे थे।
 उल्फ़त सिहर गयी जब इकबाल ने उन्हें प्यार से सहलाया।
 इकबाल ने अपने गुलाबी होंठ लगाए।
 दो शरीर एक होने की कोशिश कर रहे थे।

 उल्फ़त ने इकबाल के लंड पर हाथ रखा।
 उल्फ़त को वहां कोई खास उत्साह नहीं लगा।
 उल्फ़त ने बहुत विचार नहीं किया।

 दोनों एक दूसरे के साथ सो गए।

 इकबाल की जिद पर दोनों अगले दिन कश्मीर की सुंदर वादियों में हनीमून पर चले गए।
 शाम की फ्लाइट पर थके हुए हरे होटल पहुंचे।

 उल्फ़त ने कहा कि बाहर घूमने चलो।
 दोनों कपड़े बदलकर घूमने निकल गए और नवविवाहितों की तरह आपस में चुहलबाजी करते हुए डल लेक की कश्ती में घूमते रहे।

 उल्फ़त की चूत मुस्कुरा रही थी।
 इसलिए उसने इकबाल को तुरंत होटल वापिस चलने के लिए कहा।
 दोनों फटाफट भोजन करके होटल पहुंचे।

 उल्फ़त ने कमरे में आकर इकबाल से कपड़े बदलने को कहा।
 उसने खुद अपनी कल की नाईटी निकाली, हल्का सा मेकअप करके, इत्र लगाकर बेड पर आ गई।

 इकबाल भी कपड़े बदल चुका था।
 उसने साटन की लुंगी और कुर्ता पहनी।

 उल्फ़त चाहती थी कि उसका प्रेमी उसे गोदी में उठाकर बेड पर लाए।
 पतले दुबले इकबाल यह रिस्क नहीं ले सकते थे।

 इकबाल ने उल्फ़त को आलिंगन में लेकर उसके बराबर बैठाया।
 दोनों की चुंबन जारी थी..।  जब इकबाल ने अपने हाथ उसकी झीनी सी नाईटी में डालकर उसके आमों को सहलाया, तो उल्फ़त ने भी बहुत बेबाकी से अपना हाथ उसकी लुंगी में डाल दिया।

 इकबाल मियाँ का लंड आज भी तोप की तरह तना हुआ था।
 उल्फ़त के अरमान टूट गए।
 उसे लगता था कि वह लंड को चूमकर मुंह में ले जाएगा।

 लेकिन वह सब्र करती थी कि कहीं इकबाल उसे गलत न समझ बैठे।
 जब इकबाल ने अपने मम्मों को जाली से बाहर निकाला, उल्फ़त ने बेड के बराबर स्विच से प्रकाश को बंद कर दिया।
 कमरे में अब एकमात्र नाईट लैंप था।

 उल्फ़त ने अंगडाई पकड़ा और दूसरे हाथ से इकबाल की लुंगी खोल दी।

 इकबाल पहले ही कुर्ता उतार चुके थे।
 अब दोनों शरीर कपड़ों से मुक्त होकर मछलियों की तरह मचलते हुए एक दूसरे से लिपट गए।

 इतनी मदमस्त युवावस्था देखकर इकबाल खुश हो गया, और उल्फ़त को अपने पहले मिलन के सपनों को साकार करने का अवसर मिला।

 दोनों बेतहाशा चूम रहे थे।

 इकबाल ने बार-बार उल्फ़त के दूध की तरह गोरे मम्मे हाथ में देखे।
 उसने उसकी निप्पल को भी चूम लिया, जबकि उल्फ़त सिर्फ उसके लंड को मसल रही थी।

 उल्फ़त की चूत में चीटियाँ चली गईं।
 उसकी चूत से गर्म पानी की तरह कुछ निकल रहा था।
 उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इकबाल को कैसे बताए कि अब उसकी चूत को लंड चाहिए।

 इकबाल ने कोई प्रयास नहीं किया तो उल्फ़त ने कसमसाती हुई उल्फ़त से कहा, "कुछ कीजिए।"  मैं दम निकला जा रहा हूँ।

 इकबाल ने भी पोर्न देखा होगा।  अब घुटनों पर बैठकर उल्फ़त की टांगें चौड़ा कर उसके ऊपर आकर उसके कुंवारी चूत में अपना लंड डाल दिया।
 दोनों ने पहली बार मुलाकात की।
 उल्फ़त रोई।

 इकबाल का लंड पहली बार था, हालांकि बहुत मोटा नहीं था।
 उसकी चूत में किसी ने गर्म सरिया डाल दिया लगता था।

 इकबाल घबरा गया और बाहर निकलना चाहा, लेकिन उल्फ़त उसे लिपट गई।
 इकबाल ने कुछ सेकंड इंतज़ार के बाद उल्फ़त की चुदाई शुरू कर दी।

 उल्फ़त उसे पूरी तरह से सहयोग कर रही थी।
 लंड बहुत मोटा नहीं था, इसलिए उल्फ़त कम परेशान हुई।

 इकबाल बहुत देर नहीं खेल पाया और उल्फ़त की चूत में जल्दी ही मर गया।
 उल्फ़त के दावे अधूरे रह गए।
 वह तड़प रही थी।

 पर पहली रात में अपने प्रेमी से क्या कहती?
 वह सिर्फ दबी जुबान से कहा, "अरे, इतनी जल्दी निकाल दिया आपने?"

 और क्या आपने सोचा था कि मैं रात भर ऐसा करता रहूंगा? इकबाल भड़क गया और दो टूक उत्तर दिया।

 इकबाल ने कपड़े पहनकर मुंह पलटकर सोया।
 उल्फ़त के गोरे गालों पर मोती लुढ़क गया।
 वह भी कुछ देर सो गई।

 यह कहानी छह भागों में होगी।
 आपको फर्स्ट नाईट विद हसबैंड कहानी कैसी लगी?
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 लेखक के अनुरोध पर इमेल आईडी नहीं मिलेगा।

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