मुह बोली मामी की ठुकाई (देहाती मामी ने खुद बुलाया और चुदवाया)
Doggy village sex story— Sex story of cousin and aunt: नमस्कार सब, मेरा नाम सोनू है और मैं उत्तराखंड के उधम सिंह नगर से हूँ। लंबे समय से देसी सेक्स कहानियाँ पढ़ता रहा हूँ, इसलिए मैंने सोचा कि अपनी वास्तविक जीवन की एक कहानी भी आपसे साझा करूँ। यह तब की बात है जब मैं बीएससी कर चुका था और गाँव लौट आया था। मार्केट जाना भी रास्ते में है, और मेरा ननिहाल घर सिर्फ दस किलोमीटर दूर है।
कविता नामक मेरी मुहबोली मामी ननिहाल में रहती हैं। लम्बी, सांवली, सेक्सी लगती थीं। पतली साड़ी या सूट पहनती थीं, जिसमें उनकी पतली चूचियाँ ऐसे उभरी रहतीं जैसे दो बड़े सख्त आम हों। पहले गलत नजर से नहीं देखता था; बस चाय पीकर कभी-कभी चला आता था। वह हमेशा मेरे साथ छेड़छाड़ करतीं, पीठ पर हाथ फेरतीं, हल्का धक्का देतीं, कान खींचतीं और फिर मुस्कुराकर भाग जातीं। मैंने इसे सिर्फ मनोरंजन समझा।
एक दिन मैं मार्केट से सामान लेकर लौट रहा था, मेरी कार पूरी तरह से भरी हुई थी। वह खुशी से गा रहा था कि पीछे से किसी ने जोर से आवाज दी। एक आदमी ने गाड़ी रोकी और कहा, "एक औरत को लिफ्ट दे दो।" पहले तो मूड नहीं था, लेकिन जब वह दूसरी ओर से आईं तो मुझे पहचान लिया और कहा, “अरे सोनू, मुझे भी ले जा! यह मामी थी। उन्हें बिठाने के लिए मैंने तुरंत दरवाजा खोला।
उन्होंने पीला सूट पहना था और लाल लिपिस्टिक लगाया था, जो उन्हें पूरी तरह से बेहोश कर रहा था। जैसे ही वो मेरे बगल में बैठीं, मेरा लंड खड़ा हो गया। हम चले गए। “कहाँ से आना हुआ मामी?” मैंने पूछा। “शादी से,” उन्होंने कहा। थोड़ी देर बाद फोन पर व्यस्त हो गईं। मैंने उनका फोन मजाक में छीन लिया। उनके हाथ से मेरा हाथ छीनते हुए टकरा गया। “अकेली देख कर मजे ले रहे हो क्या?” उन्होंने पूछा और फोन को पीछे रखा। मुस्कुराते हुए कहा मैं साहस पाया।
यह भी पढ़ें: सेक्सी धोबन और उसका बेटा अब पूरी तरह से उत्तेजित हैं। वह भी मेरी जांघ पर हाथ फेरती हैं, कान खींचती हैं, गाल भी फेरती हैं। मैंने बदला लेने के लिए उन्हें अपनी तरफ खींचकर उनका कान जोर से खींचा। वह झूठा क्रोध दिखाने लगीं। मैंने पीछे से कमर में हाथ डालकर खींचा, कान को चूमने लगा और जीभ फिराई। उसकी साँसें तेज हो गईं और वह अपने शरीर से चिपकने लगीं।
जब मेरा हाथ उनकी बाजू से फिसल गया, तो मैं सीधा उनकी चूचियों पर पहुँच गया। उंगलियों से अपनी सुंदर चूचियों को सहलाने लगा। मेरी जांघों पर हाथ फेरते हुए, वो सिर झुकाकर आँखें बंद कर रही थीं। जब मैंने साहस किया और उनकी बायीं चूची को जोर से दबाया, तो उनकी मुँह से चीख निकल गई, "आह्ह्ह... सोनू..।" वह शर्म से सिकुड़ गईं।
इसी बीच वे उनके घर पहुँच गए। सब कुछ यहीं समाप्त हो गया। मन मसोसकर मैं घर लौट आया। तीन दिन बाद उनका फोन आया, "सोनू, कुछ सामान मेरे घर तक ला दोगे?" आवाज बिल्कुल शांत है। मैं सामान लेकर आया। मुझे कमरे में ले गए और चाय बनाने चले गए। उसने आज एक हरे रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें कमर से नीचे मोटी गांड थी, जो टाइट ब्लाउज में कयामत ढा रही थी।
चाय पीते हुए कहा, “घर पर कोई नहीं, सब फंक्शन में गए हैं।” मेरा दिल तेज धड़कने लगा। थोड़ी देर यहाँ-वहाँ की बातें करने के बाद वे फिर से मज़ा लेने लगीं। मैं उठकर सोफे से उनके पास बैठ गया। मदहोश होकर, उन्होंने अचानक मेरे गाल पर हाथ फेरा। मौका देखकर मैंने पीछे से उनकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से जोर से दबाया। “आह्ह्ह... ओह्ह सोनू...,” उन्होंने रोते हुए कहा। ”
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फिर उन्होंने हल्का धक्का देकर मुस्कराया। मैंने ग्रीन संकेत प्राप्त किया है। जब मैंने उनकी चूचियाँ फिर से मसलीं, तो वे तेज साँस लेने लगीं। जब मैं थोड़ा दूर चला गया, तो उसने खुद उठकर मुझे सोफे पर खींचा और मुझे गले लगाकर कहा, "सोनू..। I love you..। मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ। मैं भी मुस्कुराया। जैसे ही हग ढीली हुई, उन्होंने अपने रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
हम दोनों एक-दूसरे को चूसने लगे। मैंने साड़ी का पल्लू गिरा दिया और उनकी कमर सहलाई। ग्रीन ब्लाउज में चूचियाँ और साफ नजर आईं। जब मैं जाग गया, मैंने पूछा, "दरवाजा बंद कर लूँ? “हाँ जल्दी..। ” मैंने दरवाजा बंद करके फिर लिपट गया। मैंने उनके रसीले होंठ चूसते हुए ब्लाउज को बाजू से नीचे खींचा। गर्दन ने कंधों को चूम लिया। सफेद ब्रा से चूचियाँ भारी लगीं।
मैंने उन्हें दीवार से धक्का देकर पीछे से खड़ा हो गया और उनकी गर्दन चूमने लगा। दोनों हाथों से अपनी चूचियों को ब्रा के ऊपर मसलने लगा। वह रोने लगी, "आह्ह्ह..। ओह..। उम्म्ह..। सोनू..। आह..। उसने पीछे हाथ करके मेरे पायजामे के ऊपर से अपना लंड सहलाने लगा। दोनों तरफ आग लगी थी।
मैंने साड़ी को पूरी तरह खींच लिया, बस पेटीकोट बचा था। फिर उसने पेटीकोट का नाड़ा खोला और गिर पड़ा। मामी सफेद पेंटी और ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही थीं। मैंने टाँगें चौड़ी कर उन्हें बेड पर लिटाया। पेंटी पूरी तरह से गीली हो गई थी। मैंने अपनी जीभ पेंटी के ऊपर से निकालकर चाटना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह..। सोनू..। चाटो..। आह..। उसने मेरा सिर उनकी चूत पर दबाने लगा।
मैंने पेंटी उतारी और देखा कि मेरी चूत पूरी तरह से स्वच्छ थी। मैं पागल हूँ। अब तक मैं पूरी तरह से नंगा था। नीचे आकर मैंने उनकी चूत पर मुँह लगाकर चूसने लगा। उनका रस थोड़ा नमकीन है, लेकिन बहुत स्वादिष्ट है। उसने मेरा सिर दबाते हुए कमर उठा-उठा कर मुझे चुसवाते हुए कहा, “आह्ह्ह..। हूँ..। सोनू..। चाटो..। ओह..। बहुत सुंदर दिखता है..। आह..। ”
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मैंने कान में कहा, “कविता मामी, अब अपनी चूत चुदवाने को तैयार हो जाओ, आज टूट जाऊँगा। “हाँ सोनू..। कृपया मुझे..। जल्दी से ” मैं उनके ऊपर चढ़ा, टाँगें कंधों पर रखकर उनकी गीली चूत पर अपना मोटा लंड रगड़ा। उसकी गीली चूत ने एक झटके में आधा लंड अंदर डाल दिया। “आआह्ह्ह्ह..। सोनू..। जल्दी..। ओह..। ”
मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड डालकर धक्के मारना शुरू किया। चूत से फच-फच की आवाज आई। “आह... उम्ह्ह..। ओह सोनू, भाई..। आह..। जोर से..। मैंने उनके होंठ चूसते हुए स्पीड बढ़ाई, कभी पूरा लंड निकालकर एक झटके में उसे पूरा पीटा। वो मुझे घेर लेतीं। मैंने उन्हें चूसते और दबाते हुए बहुत चोदा।
मैंने फिर कहा, "घोड़ी बनो मामी।" वह सीधे घोड़ी बन गईं। उसकी सांवली मुलायम गांड को देखकर उसके लंड और टाइट हो गए। मैंने पीछे से चूत में लंड डाला और गांड पकड़कर जोर से ठोकने लगा। उनकी चूचियाँ हिल रही थीं। उंगली से अपनी गांड सहलाने लगी तो वह और भी पागल हो गई, "आह्ह्ह्ह..। ओह..। सोनू..। गाड़ी में भी उंगली डालो..। आह..। ”
मैं भी अब गिरने वाला था। उसने कुछ और तेज धक्के मारे और उनकी चूत में गर्म वीर्य डाल दिया। उन्होंने भी चरम पर पहुंचकर कहा, “आआह्ह्ह्ह..। सोनू... आ गया..। ओह..। हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े। लंड को चूत में चिपका कर थोड़ी देर गीला करते रहे। फिर मैंने एक लंबा किस किया, चाय बनाई, पी और अगली बार मिलने का वादा कर विदा हुआ।
यह मेरी असली आपबीती है, दोस्तों; अगली कहानी जल्द ही आ जाएगी।
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