पड़ोसन आंटी को ट्रेन में चोदकर रखैल बनाया

Dec 12, 2025 - 13:49
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पड़ोसन आंटी को ट्रेन में चोदकर रखैल बनाया

आंटी पोर्न स्टोरी में मेरे पड़ोस की एक आंटी अपने पति से लड़ कर हमारे घर आई।  आंटी को एक दिन लंबी ट्रेन में जाना पड़ा।  मैं उनके साथ चला गया।

 मैं सौरभ हूँ और नागपुर का रहने वाला हूँ।
 25 वर्ष का एक लड़का हूँ।
 मेरा कद पांच फुट है और मेरी काठी कुछ छोटी है।

 मेरा लंड आम है, लेकिन किसी भी महिला को पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता है।

 हमारे घर के बगल में कुछ समय पहले आंटी पोर्न स्टोरी में एक औरत का अपने पति के साथ बहुत झगड़ा हो रहा था।
 संघर्ष के बाद उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया।

 वह महिला हमारे घर आई और अपनी पीड़ा बताने लगी।
 मेरी दादी उसे सुन रही थीं।

 वह महिला हमारे घर पर दो दिनों तक रुकी।

 तीसरे दिन उसका पति हमारे घर आया।
 मेरी दादी ने दोनों को बताया जब वे फिर से बहस करने लगे।

 बाद में वे कुछ दिनों तक एक साथ रहने लगे।
 लेकिन लगभग दो महीने बाद फिर से विवाद हुआ।

 इस बार बहस कुछ अधिक हो गई।

 हाल ही में मैंने आपको उस महिला का नाम नहीं बताया था, लेकिन अब यह बताना आवश्यक है।
 टीना उसका नाम था।
 वह सुंदर दिखती थी, हालांकि उसका कद छोटा था और फिगर अच्छा नहीं था।

 मैं उनका नाम आंटी रखता था।
 मेरी दादी और टीना आंटी बहुत काम करती थीं।

 उस बेचारी टीना आंटी पर मेरी दादी को दया आ गई, इसलिए उसे फिर से हमारे घर में रहने को कहा।

 टीना आंटी अब दिन भर घर में रहकर दादी को घरेलू कामों में मदद करने लगी।

 उन्हें एक दिन शहर से बाहर जाना था, लेकिन उनके पास बहुत सामान था, इसलिए उन्होंने मेरी दादी से कहा कि मुझे उसके साथ भेज दें।

 दादी ने कहा, "ठीक है..।"  वैसे भी सौरभ दिन भर सिर्फ पढ़ाई करता है..।  इसलिए वह तुम्हारे साथ फिर से कुछ समय बिताएगा!

 जब दादी फिर से आईं, उन्होंने मुझसे टीना आंटी के साथ उनके गांव में कुछ सामान छोड़ने को कहा।
 मैंने उत्तर दिया: ठीक है।  सुबह जाऊंगा।

 आंटी का गांव बहुत दूर नहीं था।

 सुबह उठकर मैं टीना आंटी के साथ रेलवे स्टेशन चला गया।
 हम दोनों प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आने का इंतज़ार करने लगे जब वे वाराणसी के लिए दो टिकट खरीद लिया।

 ट्रेन बहुत सो गया था।
 ट्रेन सुबह 10 बजे आई और दोपहर 2 बजे आई।

 हमने रिजर्वेशन टिकट नहीं लिया था, इसलिए हमें कोई जगह नहीं मिली।
 फिर भाग्य से एक जगह खाली थी; शायद वह व्यक्ति जिसकी जगह थी, नहीं आया।

 ढाई बजे ट्रेन चली गई।

 मैं मोबाइल पर एक फिल्म देख रहा था।
 फिर मैंने टीना आंटी को भी उसे देखते देखा।
 फिल्म खत्म होने पर मैं ट्रेन में घूमने लगा।

 हमने खाना खाया, कुछ बातें कीं और फिर सो गए।

 हम दोनों एक ही सीट पर बैठे थे, इसलिए मैं खिड़की की तरफ सिर रखकर सो गया, और वे खिड़की की तरफ सिर रखकर सो गए।

 मैं रात के करीब एक बजे पेशाब करने लगा।
 मैं टॉयलेट से बाहर निकलते ही टीना आंटी ने उठकर कहा कि मुझे भी आना है।

 रात का समय था, डिब्बे की लाइटें भी धीमी थीं और वे भी भयभीत थे।

 “यह पहली बार है कि मैं अकेले जाता हूँ,” उन्होंने कहा।
 मैंने हंसते हुए कहा, "तुम शायद अकेली नहीं हो, मैं भी अकेला हूँ।"

 फिर हम दोनों मुस्कुराते हुए सो गए।
 उस दिन कोई घटना नहीं हुई थी और मैं भी उनके बारे में कोई गलत विचार नहीं कर रहा था।

 लेकिन मैं सोते हुए कुछ कर रहा था।

 हम दोनों गांवों में गए।

 उसी दिन मैं वापस निकलने वाला था, लेकिन टीना आंटी ने मुझे रोका और कहा कि मैं इतनी दूर आया था कि थोड़ा घूम-फिर जाऊँ।
 मैंने स्पष्ट रूप से पूछा: अकेले घूमना क्या?

 फिर उन्होंने कहा, "हम शाम को घूमने चलेंगे!"
 दो दिनों तक मैं उनके गांव में रहा।

 अगले दिन मैंने स्टेशन फिर से जाकर दो टिकट खरीद लिए।
 स्लीपर क्लास में रिजर्वेशन नहीं मिलने के कारण मैंने सेकंड एसी का टिकट लिया था. बिना रिजर्वेशन के जाने में बहुत मुश्किल होता है।

 मैं उस समय तक नहीं जानता था कि आज की रात आंटी की चुदाई की रात होगी।

 वास्तव में, जिस ट्रेन में मैंने टिकट बुक किया था, वह एक वीकली ट्रेन थी और लगभग पैक ही जाती थी।

 उस दिन जब मैं चार्ट बनाया, मुझे बताया गया कि मेरा टिकट अपग्रेड हो गया था और पहले एसी के एक छोटे से कूपे में था, जिसमें सिर्फ दो बर्थ थे।
 जब मैंने अपने मैसेज को फोन पर दो-तीन बार सही से पढ़ा, तो मेरी भूख खुश हो गई।

 आंटी ने मुझे खुश देखा तो पूछा कि किसका मैसेज आया था।
 मैंने कहा कि अपनी सीटें पहले AC में बदल गई हैं।

 वे चौंककर पूछने लगीं कि फर्स्ट एसी में सीट बुक क्यों करवाई?  हम इतना पैसा अब किधर से भरेंगे?
 अरे आंटी, यह फ्री में मिल गया है, मैंने चाची के गाल पर हाथ फेरते हुए कहा।  आपको मजा आया है।

 कुछ समझ में नहीं आया।
 हम अब ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे।

 ट्रेन आने पर हम दोनों फर्स्ट एसी के दो बर्थ वाले कूपे में बैठ गए।
 टीना आंटी कुछ उदास लगीं।

 मैंने पूछा: आंटी, क्या हुआ?  तुम खुश होने की जगह दुखी क्यों हो?
 तब उन्होंने अपनी आपबीती मुझे बताई।

 वे रोने लगे।
 मैंने उनकी बगल में बैठकर उनकी पीठ सहलाई और उन्हें चुप कराया।

 तभी वे मुझसे लिपट गईं और फिर से रोने लगीं।
 वे थोड़ी देर बाद सामान्य हो गए।

 हमने भोजन ऑर्डर किया, खाया और सो गए।

 रात में मैं ठंड से कांप रहा था।
 मैं ठंड में कुड़कुड़ा रहा था।

 शायद उसने मेरी आवाज़ सुनी थी।
 पहले दिन की तरह वे सोने लगीं, लेकिन मेरी ठंड कम नहीं हुई।

 फिर वे मुझसे लिपटकर सो गईं।
 उनकी गांड मेरे लंड से चुभ रही थी।

 उन्हें ठंड लग रही थी, इसलिए उन्होंने कुछ नहीं कहा और सो गईं।

 लेकिन मुझे अब नींद नहीं आती।
 उनकी गांड मेरे लंड से चिपक गई थी और मैं अंदर जाने के लिए उत्सुक था।

 थोड़ी देर बाद मेरा लंड गीला हुआ।
 मैं लोहा गर्म हो गया था।
 मैंने उनसे और टाइट लिपटकर सोने लगा और और अधिक ठंड का प्रयास किया।

 मुझे पता नहीं था कि उनकी चूची मेरे हाथ में दब गई थी जब मैंने उन्हें इतना कसकर पकड़ा।
 उन्हें "आ...ह..." की आवाज़ आई।

 अब आंटी का प्रेम भी जाग गया था।
 वे मेरी ओर मुँह करके लिपट गईं और सोने लगीं।

 हमने एक गहरी, लंबी किस की और मेरे होंठ उनके होंठों से जा भिड़े।

 उन्हें अपनी चुत में मेरा खड़ा लंड चुभ रहा था, इसलिए वे उसे मेरे लोअर से निकालकर हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगीं।

 मैंने जल्दी ही उनके सारे कपड़े उतारने लगे।
 आंटी का फिगर बहुत अच्छा था।

 बिल्कुल तमन्ना भाटिया की तरह..।  चीकू की तरह सुस्त बूब्स..।  पतली कमर और खरबूजे की गांड की तरह गोल गांड।
 अब तक आपने अनुमान लगा ही लिया होगा!

 मैंने उनकी चूत पर करारा किस किया और बारी-बारी से उनके दोनों चूचे चूसकर लाल कर दिए।

 अब मेरे खड़े लंड में दर्द होने लगा।
 मैंने सीधे उनकी चूत पर अपना कड़क लंड डाला।

 आंटी की चूत काफी कसी हुई थी और थोड़ी छोटी थी।
 टीना आंटी के पति शायद कई महीनों से उनकी चूत नहीं चोदा था।
 वे छटपटाने लगीं जैसे ही मैंने लंड डाला।

 मैं उनके ऊपर कुछ देर लेटा रहा।
 जब दर्द कम हुआ, उन्होंने गांड हिलाना शुरू कर दिया।
 चुदाई शुरू हुई।

 कुछ ही देर में आंटी की चुत में मेरा लंड दौड़ने लगा।

 अब मैंने उनसे कहा कि तुम उठो!
 तो वे मेरे ऊपर आकर लंड चलाने लगीं।
 मैं उनके हिलते हुए चूचे से अधिक उत्साहित हो गया।

 फिर मैंने उन्हें चलती ट्रेन में गोद में लेकर चोदना शुरू कर दिया।

 जैसे-जैसे आंटी का पानी निकलने वाला था, मैंने उन्हें सीट पर बिठा दिया और टांगें उठा कर उन्हें जमकर चोदने लगा।
 मैं उनकी कसी हुई चूत पर इतनी देर टिक नहीं सका।

 मैं लगभग पंद्रह बार उसकी चूत में झड़ गया।
 जैसे सुहागरात के दिन दुल्हन शर्माती है, वे चुदाई के बाद भी बहुत शर्माती थीं..।  ठीक है!

 उनकी इस कृपा ने मुझे फिर से उत्साहित कर दिया।
 मैंने उन्हें इस बार भी संभलने नहीं दिया।

 वे सिर्फ "आ... उई... माँ..." की आवाज़ें निकाल रहे थे।
 मैंने अचानक से आंटी की गांड में लंड डालने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन वे मना करने लगीं और कहा, "फिर कभी"।

 मैंने चुत की चुदाई करते हुए भी कोई विरोध नहीं किया।

 वे चुदते हुए बहुत खुश दिखती थीं।
 उन्होंने मज़ाक करते हुए कहा कि मेरा पति भी मुझे इस तरह नहीं चोद सकता!

 मैंने कहा, "आज से इस चूत पर इस लंड का अधिकार है!"  लंड अब आपको कोई परेशानी नहीं होगी!
 इस पर वे हंसकर झड़ गईं और "साले हरामी" कहा।

 मेरा लंड उनकी चुत से गर्म पानी से भर गया और उत्तेजित हो गया।
 उन्हें खड़ा करके मैंने उनकी गांड के पीछे से अपना लंड डालकर उनकी गांड चोदना शुरू कर दिया।

 हिचकोले और ट्रेन की रफ्तार भी अलग-अलग मज़ा देते थे।
 करीब बीस मिनट बाद, मैं फिर से उनकी चरम सीमा पर पहुंच गया और उनकी चूत में सारा माल डाल दिया।

 जब हम अलग हो गए, मैंने देखा कि उनकी नंगी चूत से अभी भी वीर्य निकल रहा था।

 फिर हम कपड़े पहने हुए टॉयलेट की ओर चल पड़े।

 टॉयलेट में जाकर आंटी ने मेरा लंड और चूत धोया।
 फिर हम दोनों वापस अपनी सीट पर बैठ गए।

 हमने दो बार और चुदाई की, जिससे आंटी की चूत सूज गई।

 वे अब अकेले कमरे लेकर रहने लगी हैं।
 यहां नहीं रहने वाले मेरे परिचितों का भी यह कमरा है।
 इसलिए मेरे उनसे मिलने पर किसी को कोई संदेह नहीं है।

 मैंने उनके लिए नौकरी खोजी।
 मैं शाम को काम से घर वापस आने पर आंटी को चोदता हूँ।

 जब मैं आने की सूचना देता हूँ, आंटी घर पर नंगी होती हैं।

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